"क्या इस किट से मालूम हो जायेगा की वो गर्भवती है या नहीं ", विमल ने थोड़ा संशय से दुकानदार से पूछा
" हाँ सर, 100 परसेंट, मेरी गारंटी है, आज तक कभी फेल नहीं हुआ" , दुकानदार ने मुस्कुराते हुए कहा
"अच्छा तो मुझे कितने किट लेने होंगे, मेरा मतलब कितनी बार टेस्ट करना होगा", विमल ने पूछा
"कितनी बार? अरे साहब बस एक बार", दुकानदार ने कहा
"अच्छा " , विमल ने आश्चर्य से पूछा।
तभी उस मेडिकल शॉप पर एक और ग्राहक आ गया। विमल ने झट से उस किट को अपने दोनों हाथो के बीच छिपा लिया और धीरे से अपनी ओर करके पॉकेट में रख लिया। दुकानदार को उसके पैसे देकर धड़कते दिल से अपने घर की और चल दिया। रास्ते में तमाम ख्याल उसके दिमाग में चल रहे थे। शादी से लेकर आज के हर उस पल तक की जिसमे वो एक बेफिक्र युवक से एक जिम्मेदार पुरुष बनने जा रहा था। दो साल पहले उसकी शादी हुई थी घर वालो की पसंद से। शादी के पहले सिर्फ एक बार मिला था वो भी पुरे परिवार के साथ उससे। शायद छोटे शहर के संस्कार और समय की कमी। बारहवीं पास करते ही सेना में चला गया और फिर कमीशंड अधिकारी बनने के बाद तो और छुट्टी की किल्लत।
"सुनो कहां जा रहे, घर तो यही है " सुनीता ने हँसते हुए जोर से कहा
"अरे हाँ, देखो मैं अपनी धुन में चला जा रहा था और घर भी भूल गया" , विमल ने मुस्कुराते हुए कहा और घर के अंदर चला आया।
"ले आये जांचने वाली किट " सुनीता ने गहरी नजर से विमल को देखते हुए कहा।
"हाँ जानेमन, लेकिन कल सुबह तक के लिए इंतज़ार करना पड़ेगा ", विमल ने नजदीक आते हुए कहा और उसे बांहो में भर लिया।
"कल सुबह तक क्यों, अभी क्यों नहीं ", सुनीता ने थोड़ा आश्चर्य से पूछा।
"ऐसा ही कहा है दुकानदार ने", विमल ने अपने दाढ़ी को उसके गालो पर चुभाते हुए कहा।
"अरे हटो भी, मेरी जान सूख रही और तुम्हे रोमांस सूझ रहा", सुनीता ने थोड़ा शरमाते हुए विमल को पीछे कर दिया।
"अरे इसमें क्या घबराना, खैर छोरो मैं ऑफिस होकर आता हूँ, कुछ काम है दो तीन घंटे लगेंगे ", कहते हुए विमल तैयार होने चला गया और तैयार होकर ऑफिस निकल गया।
उसके जाने के बाद सुनीता याद करने लगी जब वो विमल से पहली बार मिली थी। दोनों परिवारों को मिलाकर कम से कम पच्चीस तीस लोग थे उस समय जब उसके घर ये देखने आये थे। लम्बा कद, छोटे बाल, हलकी मूछें, मुस्कुराता चेहरा और गठीला बदन, शायद आर्मी में काफी कसरत कराई जाती हो उसने मन ही मन में ये सोचा था। पहली नजर में ही वो भा गए थे, अकेले में मिलने पर उन्होंने बस नाम और पढ़ाई ही पूछी थी। एक महीने में ही सारी रस्म और फिर शादी, शायद उनके पास छुट्टी की कमी थी। खैर,शादी के तुरंत बाद अपने साथ ले आये थे और दो साल में तीन जगह ट्रांसफर। यही सब सोचते सुनीता घर के काम में उलझ गयी और शाम का इंतजार करने लगी। वैसे उसे तो इंतज़ार कल सुबह का है जब वो जानेगी की वो गर्भवती है की नहीं।
आज विमल को आने में देर हो रही थी। लेकिन वो तो कह कर सिर्फ दो तीन घण्टे के लिए गए थे। लगभग एक बजे दोपहर में निकले थे, पांच बजे तक तो आ जाना चाहिए था। अब तो आठ बजने वाले हैं, सुनीता का मन घबराने लगा। आज हर मिनट घंटो जैसा लग रहा था। तभी फ़ोन बजा, फोन पर विमल था "डार्लिंग थोड़ी देर हो जाएगी तुम खाना खा लो।"
"अरे आज तो आपको जल्दी आना था, मन कितना घबरा रहा मेरा", सुनीता ने रुआंसी होते हुए कहा।
"बस जान दो-तीन घंटे और लगेंगे तुम खाना खा लो और सो जाओ, मेरे पास दूसरी चाभी है मैं आ जाऊंगा" विमल ने कहा और फोन रख दिया।
सुनीता थोड़ी उदास हो गयी और बेड पर जा कर लेट गयी। उसे कल सुबह की भी फ़िक्र हो रही थी, पता नहीं क्यों उसे एक अंजाना सा भय सता रहा था। यही सब सोचते सोचते उसकी आँख लग गय, आँख खुली तो देखी विमल उसे जगा रहा था।
"अरे आप आ गये, आइये खाना लगा दूँ" सुनीता ने कहा
" हाँ भूख तो बहुत तेज लगी है। तुमने खाया ? " विमल ने पूछा।
"नहीं मैंने भी नहीं खाया, आपका इंतज़ार करते करते सो गयी थी" सुनीता ने थोड़े उदासी से कहा।
" कोई बात नहीं, अब हम खाएंगे पियेंगे तो कल सुबह के बाद" विमल ने स्टाइल से कहा और हंसने लगा।
"अच्छा जी ", सुनीता ने भी मुस्कुराते हुए कहा
" जी हाँ, सुबह ये किट बताएगा की हम दो ही रहेंगे या तीन होने वाले हैं" , विमल ने मुस्कुराते हुए कहा।
"फ़िलहाल तो खाना पीना हो जाये, हम दोनों को भूख लग रही है " सुनीता ने कहा
खाना खाते लगभग बारह बज चुके थे और सोने की दोनों को बिलकुल इच्छा नहीं थी। नींद भी कोसों दूर थी दोनों की आँखों से। सुबह की हाँ या ना के एहसास में तरह तरह के विचार दोनों के मन में आ रहे थे। अपनी अपनी उधेरबुन और आँखों में उनसे बुने सपने। बस ये लग रहा था की जल्दी से सुबह हो जाये और जीवन में नए परिवर्तन को महसूस किया जाये। यही सब सोचते दोनों की आँख लग गयी। सुबह छह बजे के आसपास विमल की आँख खुली तो सुनीता को बेड पर नहीं पाया।
शायद चाय बनाने गयी होगी, ये सोचते विमल बेड से नीचे उतरा। तभी उसे किट का ध्यान आया, बस पहली यूरिन की दो बुँदे ही तो उस किट पर रखनी है और मालूम हो जायेगा गर्भवती है की नहीं। ये सोचते ही उसकी आँखे झट से खुल गयी। तभी देखा, बाथरूम से सुनीता निकल रही चुपचाप।
"क्या हुआ , टेस्ट कर लिए " विमल ने पूछा।
"हाँ" ,सुनीता ने धीरे से कहा
"क्या हुआ ", विमल ने उत्साह से पूछा
"पहले चाय पी लो, तब बताती हूँ ", सुनीता ने कहा
"अरे कैसी बात कर रहे, मैं पागल हो रहा सुनने के लिए ", विमल ने थोड़ा गुस्से से कहा
"अच्छा इधर कान लाओ ", सुनीता ने हलकी मुस्कान से कहा
"हाँ कहो ", विमल ने पास आकर कहा
"सुनो, तुम्हे कुछ महीने मुझसे दूरी बनाकर रखना होगा" सुनीता ने कहा
"मगर क्यों", विमल ने थोड़ा झल्ला कर पूछा
"क्योंकि किट पास हो गया है और हम दो से तीन बनने जा रहे" सुनीता ने शरमाते हुए कहा
"तो ये बात है" विमल ने हँसते हुए कहा और सुनीता को गोद में लेकर गोल गोल घूमने लगा।
इस एक छोटे से पल ने उनकी जिंदगी को काफी बड़ा बना दिया था।
- अभय सुमन दर्पण